बोगस खरीद पर पूरी राशि नहीं, सिर्फ लाभांश टैक्स के दायरे में: ITAT का अहम फैसला
आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण, अहमदाबाद ने छोटे व्यापारी को दी बड़ी राहत
एक ताजा फैसले में, अहमदाबाद स्थित आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने वडोदरा के एक छोटे व्यापारी रामजीभाई केसाराजी पटेल को बड़ी राहत देते हुए ₹15.28 लाख की बोगस खरीद पर की गई पूरी जोड़तोड़ को खारिज करते हुए कहा कि केवल खरीदी गई राशि में छिपे हुए लाभांश को ही टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है – न कि पूरी खरीद को।
मामले की पृष्ठभूमि
रामजीभाई ने आ.व. 2018–19 के लिए ₹4.96 लाख का आय रिटर्न दाखिल किया। आयकर अधिकारी (AO) ने मामला पुनः खोला और ₹15.28 लाख की कथित बोगस खरीद जोड़ते हुए कुल आय ₹21.25 लाख मानी।
विवादित खरीद का विवरण:
तिथि |
राशि (₹) |
विक्रेता का नाम |
23.06.2017 |
2,68,611 |
राघव ट्रेडर्स |
23.06.2017 |
3,33,715 |
हेल्ली एंटरप्राइजेस |
23.06.2017 |
1,38,818 |
लक्ष्मीराज एंटरप्राइजेस |
11.08.2017 |
3,07,500 |
लक्ष्मीराज एंटरप्राइजेस |
16.10.2017 |
4,80,000 |
लक्ष्मीराज एंटरप्राइजेस |
कुल |
15,28,644 |
AO ने यह कहते हुए पूरी राशि जोड़ दी कि ये पार्टियाँ एंट्री प्रोवाइडर हैं और खरीदें फर्जी हैं। NFAC (CIT Appeals) ने तकनीकी आधार पर — विलंब से अपील दायर होने पर — अपील को बिना सुनवाई के ही खारिज कर दिया।
ITAT में सुनवाई के दौरान तर्क
असेसी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता श्री प्रशांत उपाध्याय ने बताया:
• सभी खरीदबैंक चैनल से भुगतान सहित पक्की रसीदों और VAT चालान से समर्थित थीं।
• असेसी कीबुक्स ऑफ अकाउंट ऑडिटेड थीं।
• AO ने बिक्री को स्वीकार किया था, जिसका मतलब था कि खरीद भी वास्तविक थी।
वैकल्पिक रूप से, उन्होंने अनुरोध किया कि यदि खरीद को संदिग्ध माना जाए, तो केवल उसमें छिपे लाभ को ही जोड़ा जाए — जैसा कि कई उच्च न्यायालयों ने माना है।
ITAT का निर्णय: न्यायिक संतुलन का उदाहरण
न्यायाधिकरण ने निम्नलिखित बातों को महत्व दिया:
• AO ने बिक्री को नहीं नकारा।
• भुगतान बैंकिंग माध्यम से हुआ।
• कोई स्वतंत्र जांच नहीं की गई कि विक्रेता फर्जी हैं या नहीं।
संदिग्ध खरीद के मामलों में पूरा खर्च नहीं, केवल लाभांश टैक्सेबल होता है, इस सिद्धांत को मान्यता देते हुए, Tribunal ने कई निर्णयों का हवाला दिया:
• CIT बनाम सिमित पी. शेट (356 ITR 451)– 12.5% लाभ को टैक्स योग्य माना गया।
• CIT बनाम सूर्या इम्पेक्स (2023)– केवल 6% जोड़ की स्वीकृति।
• CIT बनाम जिगीषा मेहता (456 ITR 661)– बिना जांच के सिर्फ 5% जोड़ा।
अंतिम निर्णय: केवल 8% की जोड़तोड़
Tribunal ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ₹15.28 लाख पर केवल 8% की जोड़तोड़ स्वीकार की, यानी करीब ₹1.22 लाख, और बाकी ₹14 लाख से अधिक की राहत दी।
इस फैसले का महत्त्व
यह निर्णय करदाताओं के लिए एक स्पष्ट संदेश है:
सिर्फ शक के आधार पर पूरी खरीद टैक्स के दायरे में नहीं लाई जा सकती, खासकर तब जब बिक्री को नहीं नकारा गया हो और कागजात मौजूद हों।
करदाताओं व पेशेवरों के लिए सुझाव
• सभी खरीद-बिक्री केसाक्ष्य सुरक्षित रखें – जैसे GST/VAT चालान, बैंक स्टेटमेंट।
• अपीलसमय पर दायर करें।
• यदि सप्लायर संदिग्ध हो, तोलाभांश आधारित आकलन का तर्क अपनाएं।
मूल निर्णय: ITA No. 827/Ahd/2025, दिनांक 17.07.2025
ITAT, अहमदाबाद द्वारा पारित
The copy of the order is as under: