basic income tax law
अभी 2.5 लाख रुपए तक सालाना इनकम के लोगों को किसी तरह का इनकम टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. जबकि, उससे ज्यादा के इनकम वालों को 5%, 20% और 30% इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है.
अभी सरकार 80C लिमिट के तहत 1.50 रुपए तक की सेविंग पर एक्स्ट्रा टैक्स छूट का फायदा देती है. यानी, टैक्सपेयर इन्श्योरेंस, पीपीएफ, ईपीएफ, ट्यूशन फीस, होम लोन में प्रिंसिपल पार्ट, एनपीएस, सुकन्या समृद्दि स्कीम जैसी योजनाओं में 1.5 लाख रुपए तक इन्वेस्ट कर टैक्स छूट ले सकते हैं. यानी अभी टैक्स पेयर 2.5 लाख के बाद 1.5 लाख रुपए और इन्वेस्ट कर टैक्स बचा सकते हैं. सरकार ने इसमें 30 हजार का इजाफा किया तो 1.80 लाख तक के इन्वेस्टमेंट पर छूट मिलेगी.
इनकम टैक्स के दायरे में आने वालों के लिए जनवरी से लेकर मार्च तक का समय बेहद अहम होता है. इस बीच उन्हें निवेश के ऐसे उपाय ढूंढने पड़ते हैं, जिनसे उनकी इनकम टैक्स लायबिलिटी कम हो जाए, यानी टैक्स के रूप में उन्हें कम पैसे देने पड़े. वास्तव में 31 मार्च तक किए गए निवेश पर ही आपको टैक्स छूट मिलती है. इनकम टैक्स एक्ट-1961 की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर मिलने वाली छूट के बारे में तो अधिकांश लोगों को पता है, लेकिन इसके अलावा भी कई धाराएं हैं, जिनके तहत निवेश कर आप टैक्स छूट की अपनी सीमा को काफी बढ़ा सकते हैं. आज हम ऐसे ही उपायों के बारे में बता रहे हैं-
धारा 80सीसीडी- इनकम टैक्स की इस धारा के तहत वेतनभोगियों और सेल्फ इम्पलॉइड लोगों को नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में कंट्रीब्यूशन पर टैक्स छूट मिलती है. हां, इम्पलॉयर यानी नियोक्ता और इम्पलॉई यानी काम करने वालों का कंट्रीब्यूशन सैलरी के 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. यानी यह रकम एक साल पहले की कुल इनकम के 20 फीसदी से अधिक भी नहीं होनी चाहिए. हालांकि इसके तहत टैक्स छूट की अधिकतम सीमा 50,000 रुपए ही है.
सेक्शन 80डी- इसके तहत मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट मिलती है. इसके तहत आपको 25,000 रुपए और पैरेंट्स के लिए 25,000 हजार रुपए, यानी कुल मिलाकर 50,0000 रुपए तक की छूट मिलती है. अगर कोई पॉलिसीहोल्डर सीनियर सिटिजन है तो यह सीमा 30 हजार रुपए है.
सेक्शन 80ई- इसके तहत उच्च शिक्षा के लोन पर चुकाए गए ब्याज पर टैक्स छूट मिलती है.
सेक्शन 24बी- इसके तहत हाउसिंग लोन के ब्याज पर आपको छूट मिलती है. होम लोन पर आप जो ब्याज देते हैं, उस पर एक साल में आपको इसके तहत 2 लाख रुपए तक की छूट मिलती है. हालांकि इसके लिए जिस वित्त वर्ष में आप लोन लेते हैं, उस साल के आखिर से लेकर 3 साल के भीतर घर की खरीद या फिर बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन हो जाना चाहिए, यानी घर का पजेशन मिल जाना चाहिए.
अधिकतम 50,000 रुपए की टैक्स छूट मिलती है. इसकी शुरुआत 2017 के एक अप्रैल से हुई है. इस छूट का लाभ लेने के लिए प्रॉपर्टी की अधिकतम कीमत 50 लाख रुपए और होम लोन की रकम 35 लाख रुपए से कम होनी चाहिए. इसके तहत योग्यता के आधार पर डोनेशन की 100 या 50 फीसदी छूट मिलती है.
सेक्शन 80जी- चैरिटेबल इंस्टीट्यूशंस को दिए गए डोनेशंस पर यह छूट मिलती है. कुछ मामलों में कुल इनकम के अधिकतम 10 फीसदी डोनेशन पर ही छूट मिलती है. हालांकि इसमें संशोधन कर दिया गया है और अब 2 हजार रुपए तक ही आप कैश में दे सकते हैं, पहले यह सीमा 10 हजार रुपए थी. कैश देने पर 2 हजार रुपए पर ही छूट मिलेगी, हां चेक या अन्य माध्यम से देने पर पुराने नियम लागू होते हैं.
सेक्शन 80जीजी- इसके तहत रेंट पर हर महीने अधिकतम 5 हजार रुपए की छूट मिलती है.
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